पहली मोहब्बत को भूलना इतना मुश्किल क्यों होता है?
क्या आप अपनी पहली मोहब्बत को अब तक नहीं भूल पाए है?जानिए ऐसा क्यों होता है और इस दर्द से कैसे निकल पायेंग।
प्रस्तावना
लोक कहते हैं की "पहली मोहब्बत सिर्फ दिल नहीं चुराती बल्कि हमारी रूह का भी हिस्सा बन जाती है।"हर किसी की ज़िंदगी में एक बार ऐसा समय जरूर आता है जब उसका दिल किसी खास के लिए धड़कने लगता है। पहली मोहब्ब जिसमें सब कुछ नया होता है, दिल भी, एहसास भी, और सपने भी। लेकिन जब वही मोहब्बत अधूरी रह जाए या टूट जाए, तो उसे भुलाना उतना आसान नहीं होता।
इस लेख में हम जानेंगे कि पहली मोहब्बत को भुलाना इतना मुश्किल क्यों होता है और कैसे हम इस दर्द से बाहर निकल सकते हैं।
1. पहली बार सबकुछ ‘असली’ लगता है
जब हम पहली बार किसी से प्यार करते हैं तो वह एहसास एकदम नया होता है। और हमें लगता है जैसे कोई जादू हो गया हो। दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं और सामने वाले की मुस्कान में दुनिया बस जाती है।पहली मोहब्बत अक्हसर हमें बिना शर्त प्यार के करना सिखाती है।
इसीलिए जब बो रिश्ता टूटता है तो लगता है जैसे किसी ने हमारी जड़ें उखाड़ दी हों।
2. यादें पीछा नहीं छोड़ती
पहली मोहब्बत से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज़ एक याद बन जाती है पहली मुलाकात, पहली बार हाथ पकड़ना, वो पहली बार जब उसने हमारा नाम पुकारा।
यादें चाहे कितनी भी पुरानी हों वो अचानक किसी गाने, किसी जगह या किसी बात से फिर से सामने आ ही जाती हैं।
ये यादें हमें उस इंसान के और करीब ले जाती हैं जिसे हम भुलाना चाहते हैं।
3. दिल की उम्मीदें जल्दी टूटती नहीं
पहली मोहब्बत में हम दिल से विश्वास करते हैं कि ये रिश्ता हमेशा चलेगा और हमेशा साथ रहेंगे।लेकिन ऐसा होता नहीं हम अपने भविष्य की तस्वीर उसी के साथ बनालेते हैं। जो की होता नहीं।
जब वो रिश्ता टूटता है तो उम्मीदें मरती नहीं… वो अंदर ही अंदर पलती रहती हैं।
कई लोग सालों तक उसी इंसान की लौटने का इंतज़ार करते रहेते हैं ये सोचकर कि शायद वो फिर से लौट आएगा।
4. भावनात्मक जुड़ाव गहरा होता है
पहली मोहब्बत में हर कोई अपना सच्चा रूप दिखाते हैं।
हम अपने डर, कमज़ोरियां और सपनों को उस इंसान के साथ शेयर करते हैं। जो कभी हमारा था ही नहीं।
उस जुड़ाव को किसी और के साथ दोहराना उतना आसान नहीं होता।
इसलिए जब वो रिश्ता खत्म होता है तो हमें लगता है जैसे हमने अपने अंदर का एक टुकड़ा खो दिया हो।
इसलिए जब वो रिश्ता खत्म होता है तो हमें लगता है जैसे हमने अपने अंदर का एक टुकड़ा खो दिया हो।
5. दिल नहीं, दिमाग भी असर में होता है
वैज्ञानिक खोज बताते हैं कि जब हम किसी केप्यार में होते हैं तो दिमाग में "डोपामाइन" और "ऑक्सीटोसिन" जैसे केमिकल्स रिलीज़ होते हैं जो हमें खुशी और लगाव का अनुभव कराते हैं।
जब रिश्ता टूटता है तो हमारा दिमाग उसी खुशी को फिर से पाना चाहता है ठीक वैसे ही जैसे कोई नशा छूटने के बाद craving करता है।
6. समाज और फिल्मों का असर
हम सभी बचपन से ही फिल्मों, कहानियों और गानों में यही देखते और सुनते आए हैं कि "पहली मोहब्बत कभी भी भुलाया नहीं जाता "।ये बातें हमारे अवचेतन मन (subconscious mind) में बैठ जाती हैं।
जब भी कोई दर्द भरा गाना या लव स्टोरी सुनते हैं तो हम अपने दर्द से खुद को जोड़ लेते हैं और पहली मोहब्बत का जिक्र फिर से ताज़ा हो जाता है।
7. अधूरापन दर्द देता है
कई बार ऐसा होता है की पहली मोहब्बत इसलिए भी भुलाई नहीं जाती क्योंकि वो अधूरी रह जाती है।हम सोचते हैं ।
"काश मैं कुछ और कर लेता...",
"काश वो समझ जाती...",
"काश हालात कुछ और होते..."
ये अधूरे "काश" और "अगर" बार-बार दिल को तोड़ते रहेते हैं।
ये अधूरे "काश" और "अगर" बार-बार दिल को तोड़ते रहेते हैं।
8. आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है
जब पहली मोहब्बत टूटती है तो हम अपने आप को दोष देने लगते हैं।"क्या मुझसे कोई गलती हुई?"
"क्या मैं प्यार के लायक नहीं हूँ?"
इससे हमारा आत्म-सम्मान गिरने लगता है और हम उसी रिश्ते में validation ढूंढने लगते हैं जो रिश्ता अब रहा नहीं।
9. पहली मोहब्बत हमें बदल देती है
उसके बाद का हर रिश्ता हमें याद दिलाता है कि पहली बार किस तरह से हमने अपना दिल खोला था।हम फिर उतनी मासूमियत से किसी औरसे नहीं जुड़ पाते।
इसलिए पहली मोहब्बत की जगह कोई और नहीं ले पाता।
अब सवाल उठता है की : क्या पहली मोहब्बत को भुलाया जा सकता है?
तो जवाब है: हाँ, लेकिन पूरी तरह नहीं, बल्कि एक तरह से स्वीकार कर के।
💡 पहली मोहब्बत के दर्द से बाहर कैसे आएं?
1. स्वीकार करें कि वो दौर अब खत्म हो चुका है
खुद को बार-बार ये समझाना ज़रूरी है कि अब वो रिश्ता अतीत का हिस्सा है जो गुजरा हुआ कल था । जितनी जल्दी हम इसे मानलेते हैं उतनी ही जल्दी आगे बढ़ पाएंगे।2. यादों से भागें नहीं, उन्हें सम्हालें
यादें आती हैं तो आने दें। लेकिन उसे अपनी उपर हावी ना होने दें। आप उन्हें एक डायरी में लिख सकते हैं या किसी भरोसेमंद दोस्त से शेयर शेयर कर सकते है।3. अपने आप से प्यार करें
कई बार ऐसा होता है की पहली मोहब्बत के बाद लोग खुद से ही दूरी बना लेते हैं। खुद को ही दोषी मानते है। तो ऐसा करना बंद करें और खुद से दोबारा जुड़ें।4. नई चीज़ें आज़माएं
नई आदत , नए दोस्त और नई जगहें इनसे जिंदगी में नया रंग आता है और दिल धीरे-धीरे पुरानी चीज़ों से अलग हो पाता है और दुरी बनालेता है।5. माफ करें – खुद को और उसे भी
माफ करना सबसे बड़ा इलाज होता है। आप जिससे प्यार करते थे वो खुश हो – ये सोचना भी खुद को सुकून दे सकता है।निष्कर्ष (Conclusion)
पहली मोहब्बत को भूलना मुश्किल होता है क्योंकि वो हमें बनाती भी है और तोड़ती भी है।वो हमें सिखाती है कि प्यार क्या होता है और उसका टूटना हमें सिखाता है कि ज़िंदगी कैसे जीनी है।
अगर आपकी पहली मोहब्बत अधूरी रह गई है तो ये जान लीजिए – आप अकेले नहीं हैं। लाखों लोग उस दर्द से गुज़रते हैं लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत वही कर पाते हैं जो खुद से प्यार करना सीखते हैं।
पहली मोहब्बत भुलाई नहीं जाती लेकिन उसके बिना जीना ज़रूर सीखा जा सकता है।
आपके विचार?
क्या आपने अपनी पहली मोहब्बत को भुलाया है?या वो अब भी आपके दिल के किसी कोने में ज़िंदा है?
नीचे कमेंट करके बताएं, और अगर यह लेख आपके दिल को छू गया हो तो दूसरों से शेयर करना न भूलें।
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